आज फिर उसने जाने की बात की,
आज फिर उसने ना लौट आने की बात की।
बहुत चाहकर भी वजह नहीं पुछी मैनें,
आखिर क्यों उसने ऐसे रुलाने की बात की।।
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रोकना है उसे,पर कोई बहाना नहीं है,
मन में है बहुत कुछ ,जताना नहीं है।
हाँ!उदास हूँ,उससे जुदा होने की खबर से,
पर इन आंखों की नमी को,उसे दिखाना नहीं है।।
बेवजह बहुत मुस्कराया,कुछ की तलाश थी,
छुपा रहा होगा कुछ तो,अजनबी-सी पहचान थी उसकी जजबात की।
या शायद अब मन उसका भी भर आया होगा,
तभी तो उसने रिश्ता ना निभाने की बात की।।
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मैं, चुप रही,बस गूँज थी,उसके जाने की आहट की,
ख्याल आया तो सिर्फ,एक-दुसरे को जानने में बिताए रात की।
मैंनें झाँका अपनी चाहतों की अलमारी में,
आज फिर जब उसने,सारी यादेें मिटाने की बात की।।
आज फिर उसने जाने की बात की ।।
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