पता नहीं कैसे सब
यूँ बदल गया।
वो खिलता हुआ चेहरा मेरा,
Also Read :"शोषण"
मैं सोचती हूँ अब भी,
ये कैसे हुआ और क्यूँ?
मैं टूटी तो नहीं,
फिर रुकी हुई हूँ क्यूँ?
Also Read :अधूरा सफ़र
मैं वजह धुंढने भी निकलूं,
तो हाथ कुछ नहीं आया।
बस खुद को रुका हुआ,
और हताश मैनें पाया।।
ये उदासी ये मायूसी,
शायद मैनें ही इन्हें रोका है।
आगे कैसे बढ़ना है छोड़कर,
इनकी वहज जनने में खुद झोका है।।