हवा का महक
हवा का महक जो बिखर जाए,
छूकर मेरे दिल को सुकून दे जाए।
जब महक उठे सारी फिज़ा,
यही महताब बनकर राहत दे जाए।
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दिल की धड़कन आबाद हो जाती है,
जब कण-कण से तेरा नूर खिलता जाए।
कविता में जब रच डाला जिसको,
जन्मों का सुख लम्हों में मिल जाए।
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हवा की रूमानियत एहसास जब,
दिल के गिरह में मादक पराग-सा बिखर जाए।
मेरे दिल के अरमानों का स्वनिल संसार,
सृष्टि का प्रेम रस में अविरल बहता जाए।
■▪ नीलिमा मण्डल।।