मैं, मैं नहीं

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मैं, मैं नहीं 
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मौन हूँ, निशब्द नहीं।
आवाज है, बोलती नहीं।।
झुक जाती हूँ, मैं गलत नही।
जज्बात है, मुँह खोलती नहीं।।
चाहत है किसी से, पर उम्मीद नहीं।
पहल करती नही,
पर किसी का डर भी नहीं।।
आईने के सामने एक हँसी भरा चेहरा,
जिसे देख टूटकर भी बिखरती नही।
भर गया मन दुनिया वालों से,
पर जिन्दगी जीना छोड़ती नही।।

                                                          ■▪नीलिमा मण्डल।
Navodayan

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