यूहीं चले जायेंगे

जहाँ तुम्हे अछा लगे,
वही जी लो जी भरकर।
एक दिन सारे सुख-दु:ख,
एक ही हो जायेंगे।।

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क्या फर्क पड़ता है कि,
क्या खाया और कहा रहे।
मिट्टी में जन्मे हैं,
आखिर मिट्टी में ही मिल जायेंगे।।

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जो सताता है तुम्हे,
सताकर खुश होने दो ना उसे।
अब सताऊँ किसे सोचकर,
एक दिन वो भी पछताएंगे।।

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जिस दिन ये सांसे थम जायेंगी,
एक नौए जहान में जायेंगे।
छोड़कर सारी मोह-माया,
अकेले आए हैं,अकेले ही चले जायेंगे।।

                              ■▪नीलिमा मण्डल।  

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